मिशन वाटिका: प्लास्टिक मुक्त महाकुंभ का नया अध्याय

महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज की पवित्र धरती पर अपने चरम पर है। संगम के तट पर श्रद्धालुओं का जनसागर उमड़ पड़ा है। लेकिन इस बार कुछ नया है, कुछ ऐसा जो अनदेखा था। संगम के किनारों पर प्लास्टिक कचरे के ढेर नहीं हैं। इस बदलाव के पीछे है मिशन वाटिका – एक ऐसा अभियान जो पर्यावरण संरक्षण और मानव सेवा का अनूठा उदाहरण पेश कर रहा है।

जब मैंने संगम क्षेत्र में मिशन वाटिका के इको-फ्रेंडली पानी के पाउच देखे, तो मैं हैरान रह गया। भक्तजन इन पाउचों का उपयोग कर रहे थे, और सबसे खास बात यह थी कि ये पाउच पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल थे। यह जानने की उत्सुकता हुई कि इस पहल की कहानी क्या है।

मिशन वाटिका का जन्म और विकास

मिशन वाटिका की नींव तब पड़ी, जब एक कदम चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री रोहित आर्य ने 2024 के कांवड़ मेले में प्लास्टिक कचरे की गंभीर समस्या को देखा। उन्होंने महसूस किया कि लाखों श्रद्धालुओं को पानी पिलाने की इस सेवा में प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बन रही थीं।

इसी समस्या का समाधान खोजते हुए उन्होंने ‘मिशन वाटिका’ की शुरुआत की। इसका उद्देश्य न केवल श्रद्धालुओं की प्यास बुझाना था, बल्कि प्लास्टिक कचरे के बढ़ते खतरे को समाप्त करना भी था।

जमीनी योद्धा: श्री उदय कुमार गोयल

इस अभियान की सफलता के पीछे श्री उदय कुमार गोयल का अथक परिश्रम छिपा है। श्री गोयल ने महाकुंभ में मिशन वाटिका की योजना और क्रियान्वयन को कुशलता से संभाला। पाउच के निर्माण से लेकर उनके वितरण तक, हर चरण में उनका समर्पण स्पष्ट झलकता है।

महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं तक पानी पहुंचाना आसान नहीं है। श्री गोयल ने स्थानीय स्वयंसेवकों की मदद से इस कार्य को कुशलता से अंजाम दिया। उन्होंने बताया,
हमारा उद्देश्य केवल पानी वितरित करना नहीं, बल्कि एक ऐसा विकल्प देना है जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित हो। यह सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।”

अखंड भारत मिशन का समर्थन

मिशन वाटिका को सशक्त बनाने में अखंड भारत मिशन का भी अहम योगदान है। इस संगठन ने मिशन को वित्तीय सहायता और स्वयंसेवकों का मजबूत नेटवर्क प्रदान किया। इस साझेदारी ने महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में मिशन वाटिका को प्रभावी ढंग से काम करने का आधार दिया।

नवाचार के सूत्रधार: श्री अश्वनी शर्मा

मिशन वाटिका की सफलता में श्री अश्वनी शर्मा का योगदान भी सराहनीय है। उन्होंने पर्यावरण-अनुकूल पाउच की डिजाइन और निर्माण प्रक्रिया का नेतृत्व किया। इन पाउचों में इस्तेमाल होने वाला कॉर्न स्टार्च और क्राफ्ट पेपर न केवल उपयोगी है, बल्कि पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल भी है।

श्रद्धालुओं का अनुभव

मिशन वाटिका के पाउच ने न केवल पर्यावरण को सुरक्षित बनाया, बल्कि श्रद्धालुओं के अनुभव को भी बेहतर किया है। एक श्रद्धालु ने मुझसे कहा,
पहले जहां प्लास्टिक की बोतलें संगम के आसपास बिखरी रहती थीं, अब वहां सफाई और सुव्यवस्था है। यह सचमुच एक बड़ी पहल है।”

पर्यावरण की रक्षा और सेवा का संदेश

मिशन वाटिका केवल पानी का वितरण करने तक सीमित नहीं है; यह एक बड़े उद्देश्य का हिस्सा है। यह अभियान पर्यावरण को प्लास्टिक कचरे से बचाने और धार्मिक आयोजनों में स्वच्छता बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

श्री रोहित आर्य, श्री उदय कुमार गोयल, और श्री अश्वनी शर्मा की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि सही सोच और समर्पण से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। महाकुंभ 2025 में मिशन वाटिका ने जो छाप छोड़ी है, वह न केवल पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है।

आग्रह और आह्वान

मिशन वाटिका का उद्देश्य हर व्यक्ति तक यह संदेश पहुंचाना है कि सेवा और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं। हमें इस आंदोलन का हिस्सा बनकर इसे और व्यापक बनाना चाहिए।

महाकुंभ 2025 के इस अनुभव को अपने दिल में बसाए, मैं यह लिख रहा हूं कि मिशन वाटिका सिर्फ एक पहल नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण है।

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